आयरन लेडी इंदिरा गांधी को याद किया गया

====================                                      कानपुर टुडे हिंदी दैनिक समाचार पत्र कानपुर महानगर काँग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग द्वारा जूही लाल कॉलोनी स्थित कार्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी की जयंती पर एक सभा आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता इम्तियाज अहमद (वाईस चेयरमैन)ने किया


इस मौके पर इंदिरा गांधी जी के जीवन पर रोशनी डालते हुए बताया गया कि उनका पूरा नाम इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी है जिनका जन्म 19 नवंबर 1917 में हुआ। वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 बारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी बारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।


 इनके पिता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं।


 इनके पितामह मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।


रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे "प्रियदर्शिनी" नाम दिया था।


  आप ने इंग्लैंड से अपनी पढ़ाई पूरी की ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं।
इस अवसर पर भारतीय युवा कांग्रेस के जिला महासचिव मो. इमरान खान @ छन्गा पठान ने कहा कि भारत की आयरन लेडी के तौर पर जब भी जिक्र किया जाता है तो इसमें एक नाम ही जहन में आता है,  इंदिरा गांधी का। कहा तो यहां तक जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उन्‍हें दुर्गा कहा था। लेकिन, इसको लेकर प्रमाणिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं है कि इंदिरा गांधी कड़े फैसलों को लेने से कभी पीछे नहीं हटती थीं। बांग्‍लादेश उनकी ही बदौलत आज एक आजाद मुल्‍क की हैसियत रखता है। इंदिरा गांधी ने ही वहां पर अपनी सेना भेजने का फैसला लिया था और इसका अंत 80 हजार पाकिस्‍तान सैनिकों की आत्‍म समर्पण और बांग्‍लादेश की आजादी से हुआ था।
जिस वक्‍त दुनिया के ताकतवर देश भारत को लेकर धमकाने में जुटे थे उस वक्‍त इंदिरा गांधी ने न्‍यूक्यिलर टेस्‍ट कर दुनिया को आश्‍चर्य में डाल दिया था। इस टेस्‍ट ने भारत को परमाणु ताकत के रूप में स्‍थापित किया था। हालांकि दुनिया के बड़े मुल्‍क इस हरकत से काफी खफा थे और भारत को उनके कड़े रुख का सामना करना पड़ा था। लेकिन इससे इंदिरा न तो घबराई और न ही विचलित हुईं। उन्‍होंने लगातार भारत को विकास के पथ पर अग्रसर रखा। उनके इस फैसले ने दुनिया को यह बता दिया था कि भारत अपने हित के लिए किसी भी कदम से पीछे नहीं हटने वाला है
इस मौके पर मुख्य रूप से इस मौके पर, महेश चतुर्वेदी, गुडडू सिंह, वसीक अहमद, अनिल पाण्डेय पूर्व पार्षद, नाफिसउल्लाह, रामबालक कनौजिया, मुजीब अन्सारी, पीरमोहम्मद खान, अनीस अहमद, मुकेश दुबे, गीता वर्मा, रचना त्रिपाठी, अशरफ हुसैन, जय सिंह आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे